हर शाम, वह कुछ मिनट अपने जर्नल में लिखती थी। न पैसे के बारे में, न काम के बारे में, बल्कि छोटे कदम, नई आदतें और दिनभर में जो उसने महसूस किया। ये नोट्स उसे जागरूक रहने में मदद करते थे।
कभी-कभी विकास बड़ा बदलाव नहीं होता, बल्कि छोटे और लगातार किए गए कामों से होता है, जैसे थोड़ी देर टहलना, किताब पढ़ना या 15 मिनट कुछ नया सीखना।
रोजमर्रा की दिनचर्या में थोड़ा समय निकालना आपके विचारों को व्यवस्थित करने और अगला कदम तय करने में मदद कर सकता है।